शीर्षक :मार की डर से

                         मार की डर से
कक्षा ६ की बात है कि अध्यापक जी पढ़ाने के लिए कक्षा में आये | उन्होंने हम सब बच्चों में से एक बच्चे से कहा कि जाओ और जाकर एक डंडा ले आओ | एक बच्चा गया और वह एक पतला और छोटा सा डंडा लेकर आया ,अध्यापक जी ने उसे अपने पास बुलाकर कहा कि हाथ खोलो और उसने जब हाथ खोला तो उसे एक डंडा मारकर पूछा कि लगा या नहीं | फिर कहा कि जाओ दूसरा मोटा और बड़ा डंडा लेकर आओ | डरते- डरते वह बच्चा गया और एक डंडा पहले वाले डंडे से थोडा सा बड़ा डंडा लेकर अध्यापक को दिया | अध्यापक जी ने फिर वही किया जो उसके साथ पहले किया था , और कहा कि जाओ इससे थोडा बड़ा और मोटा डंडा लेकर आओ | डर के मारे वह बच्चा गया और वहीँ पर बैठ गया | कुछ देर हो गयी ,तभी अध्यापक जी ने कुछ बच्चों को भेजा कि जाओ उसे पकडकर ले आओ , जितने बच्चे गए वो भी जाकर वहीँ पर उसके साथ बैठकर खेलने लगे |फिर कुछ देर बाद अध्यापक जी ने सभी बच्चों को भेज दिया | सभी बच्चे डर के मारे वहीँ पर बैठ गए , और कुछ खेलने लगे | अब कक्षा में सिर्फ अध्यापक जी शेष बचे थे ,फिर वह एक डंडा लेकर वहीँ गए जहाँ पर सभी बच्चे थे | बच्चों ने जैसे ही उन्हें देखा वह सभी डर के मारे वहां से नौ दो ग्यारह हो लिए |

डेंजर स्कूल का एक छोटा सा बच्चा
नाम : दीनदयाल
कक्षा : 6
        

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