शीर्षक : टॉयलेट करने जाने पर पड़ा थप्पड़

शीर्षक : टॉयलेट करने जाने पर पड़ा थप्पड़
कुछ दिनों पहले की बात है कि हमारी छमाही परीक्षा हो रही थी ; जो कि आज ही समाप्त हुई है | मैं आज यह कहने जा रहा हूँ कि एक बच्चे को जब टॉयलेट लगी तो उसने अध्यापक जी से पूछा कि सर जी टॉयलेट करने चले जाएँ , तो सर ने कहा कि यदि तुम जाओगे तो लौटने पर एक थप्पड़ जरुर मरूँगा | बच्चा चला गया और जब वह वापस लौटकर आया तो वाकई में उसे एक थप्पड़ अध्यापक जी ने मारा |



   डेंजर स्कूल का एक छोटा सा बच्चा ......
 नाम  : आदित्य तिवारी 
 कक्षा : 8th

शीर्षक : बिना कार्य दिए बच्चों से पाठ सुनकर करी उनकी खूब पिटाई

 बिना कार्य दिए बच्चों से पाठ सुनकर करी उनकी खूब पिटाई 
आज हमारी कक्षा में पहला पीरियड चल रहा था | तभी विज्ञान पढ़ाने वाले अध्यापक जी आये और हम सभी से बोल गए की तुम लोग विज्ञान याद करो और हम तीसरे पीरियड में आकर सुनेंगे | इतना कहकर वह चले गए | सभी बच्चों को अपना पहले खाली पीरियड में हिंदी का कार्य करना था , तो वो अपना कार्य कर रहे थे | इसलिए किसी ने याद नहीं किया | फिर दूसरे पीरियड में संस्कृत सर जी सुनने के लिए आये | इसके बाद तीसरे पीरियड में विज्ञान के अध्यापक जी आये और वह आते ही सभी से सुनने लगे | शायद एक या दो लोग बच गए थे , बाकी के सभी बच्चे मार खाए थे |  तो भाइयों इस तरह के हमारे स्कूल में अध्यापक लोग हैं जो कि किसी दूसरे अध्यापक जी के पीरियड में आकर अपना काम देकर चले जायेंगे और फिर अपने पीरियड में आकर बच्चों से सुनकर उनकी खूब पिटाई करेंगे |

 डेंजर स्कूल का एक छोटा सा बच्चा ........
 नाम : आदित्य तिवारी
 कक्षा : 8th 
 

शीर्षक : मार खाने से बचने पर ख़ुशी से झूमे बच्चे

 मार खाने से बचने पर ख़ुशी से झूमे बच्चे 
आज हमारे स्कूल में दूसरा पीरियड चल रहा था , जिसमें कि अध्यापक जी को संस्कृत सुनना था , लेकिन वह सुनने के लिए नहीं आये | जब तक पीरियड चलता रहा , तब तक सभी बच्चों की निगाहें  एक दूसरे के हाथों कि घडी को देखने में थीं, और उनसे पूछते रहे कि इस समय कितना बजा हुआ है ?  तब तक पीरियड ख़त्म हो गया | जैसे ही पीरियड ख़त्म हुआ , बच्चे ख़ुशी के मारे झूमने लगे | जानते हैं कि वो क्यों ख़ुशी थे ? क्योंकि उन सभी बच्चों को संस्कृत याद नहीं थी , इसलिए मार से बचने के कारण सभी ख़ुशी के मारे झूम उठे | 

 

 डेंजर स्कूल का एक छोटा सा बच्चा ....
 नाम : आदित्य तिवारी 
 कक्षा :  8th

शीर्षक : बेमतलब में पड़ी मार तो निकला खून

  बेमतलब में पड़ी मार तो निकला खून
कक्षा 7 कि बात है कि एक दिन कुछ बच्चे शोर मचा रहे होंगे , क्योंकि पीरियड खाली था, और मोनीटर ने एक बच्चे की शिकायत बिना गलती किये अध्यापक जी से जाकर कर दी | अध्यापक जी आये और उन्होंने उसको इस तरह पीटा कि उसकी नाक से खून निकलने लगा | क्या यह न्याय है जहाँ पर बच्चों को बिना उनकी गलती पर उन्हें इस तरह से पीटते हैं ? आप लोग ही बताइए की यह उचित है या नहीं |
डेंजर स्कूल का एक  छोटा सा बच्चा................ 
देवेन्द्र कुमार 
कक्षा - 7

शीर्षक : अध्यापक को चिढाने पर छिन गयी बच्चों की ख़ुशी

अध्यापक को चिढाने पर छिन गयी बच्चे की ख़ुशी
एक दिन की बात है हम सब बच्चे पढ़ रहे थे तभी हमारी कक्षा के बगल से एक अध्यापक जी जा रहे थे , तो एक लड़के ने उनको कहा  "सूखी" | वो चिढ गए और वह कक्षा में आये और जिसने "सूखी" कहा था | उसको 5 -6 डंडे मारे और कहने लगे कि तुम लोग कभी "सूखी" नहीं रहोगे |
डेंजर स्कूल का एक छोटा सा बच्चा ..........
नाम - ध्रुव
कक्षा -9

शीर्षक : काम न पूरा होने पर हुई जमकर पिटाई

 काम न पूरा होने पर हुई जमकर पिटाई 
मेरी कक्षा में एक अध्यापक जी हैं वह संस्कृत पढ़ाते हैं | एक दिन वह सब बच्चों कि कॉपी चेक कर रहे थे , उस दिन इक बच्चे का कार्य किसी कारणवश पूरा नहीं हो पाया तो उसको इतना मारा -इतना मारा कि एक मोटा डंडा जो कि एक फंटी थी | उसके चार - पांच टुकड़े हो गए | मैं तो ऐसी मार देखकर डर गया कि कहीं अगर ऐसी मार मुझे पड़  गई तो मेरा क्या होगा ? क्योंकि मैं तो बहुत पतला- दुबला  हूँ | 
 
 डेंजर स्कूल का एक छोटा सा बच्चा...............
नाम : आदित्य तिवारी 
कक्षा : 8  



 

शीर्षक : गलती एक की सजा पूरी कक्षा को

गलती एक की सजा पूरी कक्षा को 
 कक्षा 7 की बात  है कि सभी बच्चे अपना अपना कार्य कर रहे थे, क्योंकि वह पीरियड खाली इसलिए कोई एक बच्चा शोर मचा रहा था तभी  एक अध्यापक जी आये और उन्होंने सब को खड़ा कर दिया और चार -चार डंडे मारकर सबको कहा कि हाथ ऊपर करके खड़े हो जायो | दोस्तों ये है ऐसा स्कूल जहाँ पर एक को नहीं बल्कि सभी को सजा मिलती है |
 डेंजर स्कूल का छोटा सा बच्चा .... 
आदित्य तिवारी
कक्षा - 7

शीर्षक : स्कूल से कॉपी नहीं खरीदा तो पड़ी डांट , और नहीं चेक हुई कॉपी

 - स्कूल से  कॉपी नहीं खरीदा तो पड़ी डांट , और नहीं चेक हुई कॉपी - 
कक्षा 8 कि बात है कि अंकगणित के अध्यापक जी आये , वह सभी की कापियां चेक कर रहे थे | हम सभी बच्चों में से एक बच्चा गया कॉपी चेक कराने के लिए अध्यापक ने उसकी कॉपी देखा और कहने लगे की तुमने स्कूल से कापियां नहीं खरीदी हैं , इसलिए तुम्हारी कॉपी नहीं चेक होगी | जब तुम स्कूल से कापियां खरीद लोगे तब तुम्हारी कॉपी चेक होगी | कम दाम में स्कूल से तो कापियां मिलती नहीं हैं , इस कारण से उसने कम दाम में कापियां बाहर से खरीद ली थीं | अब उसको क्या पता था कि स्कूल से कॉपी नहीं खरीदी है इसलिए मेरी कॉपी नहीं चेक होगी ? वह बहुत उदास हुआ और उसने सोचा कि अब मैं कापियां कहाँ से लाऊंगा और कैसे कार्य पूरा करूँगा ?
डेंजर स्कूल का एक छोटा सा बच्चा .......
नाम : आदिकेशव 
कक्षा : 8
 

शीर्षक :मार की डर से

                         मार की डर से
कक्षा ६ की बात है कि अध्यापक जी पढ़ाने के लिए कक्षा में आये | उन्होंने हम सब बच्चों में से एक बच्चे से कहा कि जाओ और जाकर एक डंडा ले आओ | एक बच्चा गया और वह एक पतला और छोटा सा डंडा लेकर आया ,अध्यापक जी ने उसे अपने पास बुलाकर कहा कि हाथ खोलो और उसने जब हाथ खोला तो उसे एक डंडा मारकर पूछा कि लगा या नहीं | फिर कहा कि जाओ दूसरा मोटा और बड़ा डंडा लेकर आओ | डरते- डरते वह बच्चा गया और एक डंडा पहले वाले डंडे से थोडा सा बड़ा डंडा लेकर अध्यापक को दिया | अध्यापक जी ने फिर वही किया जो उसके साथ पहले किया था , और कहा कि जाओ इससे थोडा बड़ा और मोटा डंडा लेकर आओ | डर के मारे वह बच्चा गया और वहीँ पर बैठ गया | कुछ देर हो गयी ,तभी अध्यापक जी ने कुछ बच्चों को भेजा कि जाओ उसे पकडकर ले आओ , जितने बच्चे गए वो भी जाकर वहीँ पर उसके साथ बैठकर खेलने लगे |फिर कुछ देर बाद अध्यापक जी ने सभी बच्चों को भेज दिया | सभी बच्चे डर के मारे वहीँ पर बैठ गए , और कुछ खेलने लगे | अब कक्षा में सिर्फ अध्यापक जी शेष बचे थे ,फिर वह एक डंडा लेकर वहीँ गए जहाँ पर सभी बच्चे थे | बच्चों ने जैसे ही उन्हें देखा वह सभी डर के मारे वहां से नौ दो ग्यारह हो लिए |

डेंजर स्कूल का एक छोटा सा बच्चा
नाम : दीनदयाल
कक्षा : 6
        

अध्यापक को गुड मार्निंग बोला तो मिला थप्पड़

अध्यापक को गुड मार्निंग बोला तो मिला थप्पड़ 

 बात  2009 की है  हम सब बच्चे अपनी अपनी कक्षा में बैठे थे | पहला पीरियड शुरु हुआ हिंदी के  अध्यापक आये | तभी हम बच्चों में से एक बच्चे ने अध्यापक से कहा कि सर जी गुड मार्निंग| तभी  अध्यापक जी उसके पास आये और उसे पकड़ कर थप्पड़ -थप्पड़ मारा और कहा अंग्रेज चले गये पर  अंग्रेजी छोड़ गए | फिर सभी बच्चों से कहने लगे कि जब भी कोई आये तो उससे नमस्कार बोलो, प्रणाम करो और उनके  पैर छुओ यही हमारे भारत के  संस्कार है |  क्या हम सबको भारत में रह कर अंग्रेजी बोलना/ नहीं बोलना  चाहिए ? बोलना चाहिए | भारत अब वह भारत नहीं रहा जब शिक्षा के लिए गुरुकुल हुआ करते थे , लोग एक दुसरे को राम राम या नमस्कार करते थे , लोगों के प्रति प्रेम का भाव था अब वह  नहीं रहा क्योंकि भारत वही है पर यंहा के लोग बदल गए है, यंहा के रीति रिवाज , संस्कार , समाज ,बोलचाल ,रहन सहन , भाषा आदि सब कुछ  बदल गया है |
आदिकेशव , कक्षा -8
डेंजर स्कूल का एक छोटा सा बच्चा .....

ड्रेस और यूनीफ़ॉर्म में अंतर....

ड्रेस और यूनीफ़ॉर्म में अंतर .....
हमारे कानपुर के प्रतिष्ठित सरकारी स्कूल में पंद्रह अगस्त २००९ के एक दिन पहले की बात है | विज्ञान के अध्यापक जी विज्ञान पढ़ा रहे थे , तभी नीचे ऑफिस से सन्देश आया कि कल पंद्रह अगस्त है इसलिए सभी छात्र अपनी-अपनी यूनीफ़ॉर्म साफ-सुथरा धुलकर और प्रेस करके तब पहनकर आएंगे | एक लड़के ने विज्ञान के अध्यापक जी से पूंछा कि सर कौन सी ड्रेस पहनकर आना है ? अध्यापक जी उस लड़के के पास गए और उसके गाल पर खींचकर एक थप्पड़ मारा ,फिर उसे बताया कि जो कपड़े, तुम घर में पहनते हो उसे ड्रेस कहते हैं और जो तुम स्कूल में पहनकर आते हो उसे यूनीफ़ॉर्म कहते हैं |
आदित्य, कक्षा ८, कानपुर
डेंजर स्कूल का एक छोटा सा बच्चा

बच्चों को कोचिंग पढने के लिए मजबूर करते अध्यापक

बच्चों को कोचिंग पढने के लिए मजबूर करते अध्यापक

कक्षा सात की बात है| हम सभी लोग उस समय पहली बार किसी सरकारी स्कूल में गए थे, इससे पहले हम सब कभी किसी सरकारी स्कूल में नहीं गए थे | उस स्कूल के अध्यापकों के विषय में ज्यादा जानकारी नहीं थी | जैसे ही हम लोग अपनी - अपनी कक्षा में गए, वैसे ही कुछ लड़के हम लोगों के पास मिलने आये और बातचीत करने लगे और अध्यापकों के मारने के विषय में बताने लगे, पर हम लोगों को उन लड़कों की बातों पर यकीन नहीं हो रहा था | कुछ समय के बाद पढाई शुरु हुई, गणित के अध्यापक गणित के सवाल बोर्ड में लगवा रहे थे कि एक लड़के ने अध्यापक जी से पूंछ लिया कि सर ये सवाल कैसे लगाया है ? फिर से बता दीजिये ताकि मुझे समझ में जाये | अध्यापक जी ने उसे अपने पास बुलाया और उसे दो थप्पड़ मारे और उससे कहने लगे कि ज्यादा समझना है तो कोचिंग में पढ़ने आना समझे , और कहा कि चुप - चाप जाकर अपनी सीट में बैठ जाओ | तब जाकर मुझे उन लड़कों की बातों पर यकीन हुआ कि वाकई में यह स्कूल एक डेंजर स्कूल है | मन में ये भी सवाल उठता है कि सरकारी मोटी वेतन पाने वाले ये अध्यापकों का कब पेट भरेगा ? सरकारी स्कूल में पढ़ने वाले हम बच्चों का ये शोषण करना कब बंद करेंगे। . हम जैसे गरीब बच्चों को अच्छी शिक्षा, इन सरकारी स्कूलों में क्या कभी मिल सकेगी .......



आदित्य कुमार , कक्षा ८
डेंजर स्कूल का एक छोटा सा बच्चा .....

खतरनाक स्कूल

हमारा डेंजर स्कूल

डर, घबराहट.... नियम कायदे बेवजह.... जेल जेलर और कैदी जैसे माहौल .... डंडे, मुक्के, गाली, अपमान..... और कभी कभी तो खून बहना, कान फटना, हाथ पैर टूटना, सर फूटना..... ये सब है इन जीवंत कहानियों में..... जो हम आपको सुनाते रहेंगे बताते रहेंगे...... अपनी मस्ती भी मजाक भी अपने इरादे भी....... हँसी भी रुदन भी.... कोशिश करेंगे सब कुछ आपसे बांटने की.... हम और हमारा स्कूल..... जंहा रोज़ जन्म लेती है नई कहानिया और किस्से भी.... ये कहानियां ही नहीं है हमारी जिंदगी भी है जो हम रोज जीते है..... हर पल उसे महसूस करते हैं ... आप भी गुजारे होंगे ये पल... अपने बचपन के दिनों में अपने स्कूल में ....हमें आज ये मौका मिला है की हम जो पल जी रहे है ....अपने स्कूल में वो आपसे बाँट सके..... .....

स्कूल के बच्चे